ہم سفر قافلوں سے کیا لینا
ہم نواں راستوں کو کہتے ہیں
ربط کیا پھول اور خوشبو کا
پھول تو کاغزوں کو کہتے ہیں
موسم گل کو پھر بدلنا ہے
اشک تو بادلوں کو کہتے ہیں
سلسلہ زندگی کا جیسے ہے
غم تو بس عادتوں کو کہتے ہیں
پھول سا نام اک تصور ہے
پھول ہم ان لبوں کو کہتے ہیں
تیری آنکھوں سے آے تھےمجھ تک
آرزو ان خطوں کو کیتے ہیں
عشق کا چاہتوں سے کیا لینا
عشق تو حادثوں کو کیتے ہیں
وصل کا قربتوں سے کیا لینا
وصل تو فاصلوں کو کہتے ہیں
ہوش اور شاہ کو یہ نا ممکن
شاہ تو مۓ کشوں کو کیتے ہیں
हम सफर क़ाफिलो़ से क्या लेना
हम नवाँ रास्तों को कहते है़ं
रब्त क्या फूल और खुश्बू का
फूल तो क़ाग़ज़ों को कहते हैं
मौसमे गुल को फिर बदलना है
अश्क़ तो बादलों को कहते हैं
सिलसिला ज़िन्दगी का जैसे है
ग़म तो बस आदतों को कहते हैं
फूल सा नाम एक तसव्वुर है
फूल हम उन लबों को कहते हैं
तेरी आँखों से आए थे मुझ तक
आरज़ू उन ख़तों को कहते हैं
इश्क का चाहतों से क्या लेना
इश्क़ तो हादसों को कहते हैं
वस्ल का कुरबतों से क्या लेना
वस्ल तो फासलों को कहते हैं
होश और शाह को ये नामुमकिन
शाह तो मयक़शों को कहते हैं
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी